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Kavi Vinaychandra

कवि विनय चंद्र

कवि विनयचंद्र महाकवि उदयचंद्र के प्रशिष्य और कवि बालचंद्र के शिष्य थे। इनका समय लगभग 12 वीं शताब्दी के अंत में निश्चित है। कवि विनयचंद्र की तीन रचनाएं प्राप्त हैं।
1. चुनड़ी रास 2. निर्झर पंचमी कहा 3. कल्याणक रास
1. चुनड़ी रास - इसमें 32 का पद्य हैं। ये रूपक काव्य है। इसमें राजस्थानी परिवेश की एक कथा के माध्यम से द्रव्य, अस्तिकाय, गुण, पर्याय, तत्व, 10 धर्म, व्रत आदि का विश्लेषण किया गया है।
2. निर्झर पंचमी कहा - इसमें निर्झर पंचमी के व्रत का फल बतलाया गया है।
3. कल्याणक रास- इसमें तीर्थंकरों के पंचकल्याणकौन की तिथियों का निर्देश किया गया है।

Shastra by Kavi Vinaychandra

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Shastra Name Rachayita Tikakar/Translator PDF Details